हैरान
मेरे अन्तः मंथन संग्राम मे
मैं बिखर के रह गया हूँ !
मेरे प्रियतमे
मेरे पास आओ
मेरे बालों को सहृदयता के साथ
फिर से सहला दो
तुम्हारी हथेली का स्पंदन
मेरे सर से स्पर्श होते ही
देगा मुझे ------------
एक लम्बी शांती
मुझसे तुम्हारी दूरियां कैसी
करीब आओ अपनी छाया से
मेरे सर को अलग ना करों
आह इससे तो मेरा
जीवन ले लो !!!!!!!!!!
दिनेश सक्सेना
VERY NICE SIR.
जवाब देंहटाएंधन्यबाद रेनू जी
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