कविता
मन कर रहा है
कब से प्रतीक्षा है तुमसे मिलने कि
दीघ्र अंतराल के बाद आज. ……
बहुत मन कर रहा है तुमसे मिलने का
मन को तो बहुत समझाया ………
पर दिल तड़फ उठा। ..........
दिल को समझाया ………
तो आँखों ने झड़ी लगा दी सावन की
सावन को रोका तो साँसों ने तूफान ला दिया
तूफ़ान को रोका तो दिमाग बोल उठा …
कब तक झूठ का सहारा लोगे ……
बहुत याद आती है कबूल लो .......
मुश्किल हो जाएगी सम्हाल लो
दिनेश सक्सेना