बुधवार, 12 मार्च 2014

राजनीति

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती 


राजनीतिक पार्टी भले ही दागियों पर राजनीति कर रही हो किन्तु इतना तो स्पष्ट है कि अब सुप्रीम कोर्ट इस विषय पर पूरी तरह से सख्त रुख अख्तियार कर रही है ,अपने हाल के निर्देश मे शीर्ष अदालत ने जिस तरह का कडा रुख अपनाया है  वह सरहानीय है !इससे स्पष्ट है कि आने वाले दिन आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों के लिए अत्यंत कष्टकारी हो सकते है !शीर्ष अदालत ने निचली अदालतों को कहा है कि वह सांसदों और विधायकों पर चल रहे भ्रस्टाचार तथा अन्य गम्भीर मामलों की सुनवाई एक वर्ष के भीतर पूर्ण करे !आवश्यकता होने पर मामलों की सुनवाई रोज करने को कहा है !राजनीति से जुड़े लोगों खासकर सांसद और विधायक से सम्बंधित मामले लंबे समय तक अदालतों मे चलते रहते है और उनपर फैसला नहीं आ पाता !देर होने से यह सन्देश भी जाता है कि मुक़दमे चलते रहने से उनके खिलाफ कुछ होने वाला नहीं है !किन्तु अब लगता है ,यह अधिक दिन चलने वाला नहीं है !ऐसा इस लिए कि अभी कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट  के फैसले के आधार पर लालू प्रसाद यादव और रशीद मसूद जैसे शीर्षथ नेताओं को संसद से अपनी सदस्यता गवानी पडी है !

इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनीति का अपराधीकरण इस  बीच बहुत तेजी से बड़ा है !संसद और विधानसभाओं मे गम्भीर मामलों मे आरोपियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है ! ऐसा इसलिए हो रहा है कि राजनीतिक पार्टयियाँ चुनावी लाभ के लिए ऐसे बहुवालिओं को चुनाव मे उतारती है जो अपने बहु बल से चुनाव जीत सके ! इससे कोई पार्टी अछूती नहीं है !वह इस तर्क का सहारा लेती रहती है कि जब तक  कोई दोषी करार न कर दिया जाये वह निर्दोष ही है जबकी यह कोई तर्कसंगत बात नहीं है यह केवल एक कुतर्क ही है जो पार्टयिों द्वारा दिया जाता है !ऐसे मे यह आशा करना इन पार्टयिों से बेमानी होगा कि वह स्वम इस पर कोई अंकुश लगाएंगी ! इस कारण सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा निर्णय अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है !यदि इसपर पूरी तरह अमल हो गया तो देश के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलभ्धी होगी और इससे देश को एक नई दिशा तथा नई सोच मिलेगी ! देश मे भ्रष्टाचार भी कम होगा तथा राजनीति मे   शुचिता भी आयेगी ! कोई आश्चर्य नहीं कि सोलहवी लोकसभा मे  चुनकर आये अनेक  माननीयों को अपनी सदस्यता से भी हाथ धोना पड़  जाये !

सुप्रीम कोर्ट ने जो आशा कि एक नई  किरण जगाई है उससे प्रतीत होता है कि आगे आने वाले समय मे राजनीतिक पार्टयियाँ अब सिद्धांतों की राजनीति करेंगी ! भ्रष्टाचार कम होगा और राष्ट्रवादी सोच का उदय होगा ! भारत को एक नई दिशा मिलेगी जिससे भारत की गिरती हुयी साख पुनः स्थापित होगी ! वैसे भी यह सब इतना आसान नहीं है पर उम्मीद तो जगी ही है ! समय के गर्भ से क्या निकल कर आता है यह कुछ समय बाद पता चलेगा !

दिनेश सक्सेना

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