कविता
मेरा दर्द
मेरी जीवन की पुस्तक मे हर एक स्वप्न तुम्हारा था
कहानी तो मेरी थी पर वह कथानक तो तुम्हारा था
मेरी जीवन की यात्रा मे लोग तो यहाँ बहुत सारे थे
पर मुझे जिसकी तृष्णा थी वह नाम तो तुम्हारा था
जो अकेले ही बह गए हम तुम्हारी स्मृति की बाड़ मे
मुड़ कर जो देखा तो बहुत दूर छूटा वह किनारा था
वह रात न वह दिन अपने, पर चाहतों का दौर तुम्हारा था
जो साथ रही यादें तेरी थी, ऋतुएं बदली पर तेरा साथ न था
मेरी नयनो में अश्रु और कितना दर्द दिल में सोया था
कहानी तो मेरी थी पर वह कथानक तो तुम्हारा था
मेरी जीवन की यात्रा मे लोग तो यहाँ बहुत सारे थे
पर मुझे जिसकी तृष्णा थी वह नाम तो तुम्हारा था
जो अकेले ही बह गए हम तुम्हारी स्मृति की बाड़ मे
मुड़ कर जो देखा तो बहुत दूर छूटा वह किनारा था
वह रात न वह दिन अपने, पर चाहतों का दौर तुम्हारा था
जो साथ रही यादें तेरी थी, ऋतुएं बदली पर तेरा साथ न था
मेरी नयनो में अश्रु और कितना दर्द दिल में सोया था
मुस्कराने वाले को क्या पता रोने वाला कितना रोया था
दिनेश सक्सेना
bahut sundar rachna . badhai .
जवाब देंहटाएंधन्यबाद मन्याबर आशा करता हूँ कि आगे भी आप से इसी तरह मार्गदर्शन मिलता रहेगा ! आपसे निवेदन है कि आप मेरे ब्लॉग के समर्थक बने तो अधिक खुशी होगी !!! हार्दिक बधाई
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