गुरुवार, 6 मार्च 2014

मंथन


कविता 


नज़रिया


वो दौर भी गुजरा
ये दौर भी गुजर जायेगा

समय को पकड़ेगा कौन
उसे तो गुजरना है गुजर जायेगा

आये पल ज़िंदगी मे जो खुशियों के पकड़ कर रखो
गम के पलों मे ये यादो का चमन काम आयेगा

वो फरिश्तों का दौर था जो गुजरा
ये इंसानो का दौर भी गुजर जायेगा

अगर दिखतें है अभी फूलों मे काँटे हमे
कभी वक़्त वो भी तो होगा

जब काँटों मे फूल नजर आयेगे.


.................रेनू सिंह

1 टिप्पणी:

  1. रेनू जी समय चक्र सदा चलता ही रहता है उसे कौन रोक सका है हाँ जो इस चक्र के साथ नहीं चला वही पीच्छे छूट जाता है !!!!!!!!!!

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