बुधवार, 19 फ़रवरी 2014

मंथन

कविता

एक लड़की पागल सी 


एक लड़की पगली सी ना जाने क्यों
मुझे देख यूँ ही मुस्कराती रहती है 

जब भी मै उसको बुलाता जाने वह
इतना इठलाती ओर मुस्कुराती क्यों

 उसकी याद मुझे अक्सर सताती है
या मेरी याद उसे अक्सर सताती है

मुझे प्यार है तुमसे जब मै  कहता
वह कहती मुझको फिर पागल क्यों

जब कभी मै ख्यालों मे खो  जाता
पास मेरे आकार मुझे हँसाती क्यों

जब मै केशों से  उसके खेला करता
कुछ देर के लिए वह रूठ जाती क्यों

मोहब्बत हुयी है  समझी जब वह
मुझे खुदा वह बताने लगी  क्यों

छोड़ कर ना जाना कभी तुम मुझे
ना जाने मिन्नत करने लगी क्यों

जीने मरने की कसमे खाती थी
फिर इठला कर भाग जाती क्यों

दिनेश सक्सेना

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