कविता
एक लड़की पागल सी
एक लड़की पगली सी ना जाने क्यों
मुझे देख यूँ ही मुस्कराती रहती है
मुझे देख यूँ ही मुस्कराती रहती है
जब भी मै उसको बुलाता जाने वह
इतना इठलाती ओर मुस्कुराती क्यों
इतना इठलाती ओर मुस्कुराती क्यों
उसकी याद मुझे अक्सर सताती है
या मेरी याद उसे अक्सर सताती है
या मेरी याद उसे अक्सर सताती है
मुझे प्यार है तुमसे जब मै कहता
वह कहती मुझको फिर पागल क्यों
वह कहती मुझको फिर पागल क्यों
जब कभी मै ख्यालों मे खो जाता
पास मेरे आकार मुझे हँसाती क्यों
पास मेरे आकार मुझे हँसाती क्यों
जब मै केशों से उसके खेला करता
कुछ देर के लिए वह रूठ जाती क्यों
कुछ देर के लिए वह रूठ जाती क्यों
मोहब्बत हुयी है समझी जब वह
मुझे खुदा वह बताने लगी क्यों
मुझे खुदा वह बताने लगी क्यों
छोड़ कर ना जाना कभी तुम मुझे
ना जाने मिन्नत करने लगी क्यों
ना जाने मिन्नत करने लगी क्यों
जीने मरने की कसमे खाती थी
फिर इठला कर भाग जाती क्यों
फिर इठला कर भाग जाती क्यों
दिनेश सक्सेना
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