गुरुवार, 20 फ़रवरी 2014

मंथन

कविता

मैंने प्यार किया था 


भूल नहीं पाया कि तुम्हे प्यार किया था
तुमने भीकहाँ निभाने से इंकार किया था 

हर राह मे क्यों तुम्हे मुश्किल दिखी
मैंने हमेशा तुम पर एतवार किया था

हम पुकारते रहे तुम ही ना सुन सकी
मैंने कब साथ चलने से इंकार किया था

दिल है मानता नहीं इसको लाख मनाया
कहता है क्यूँ प्यार का इकरार किया था

कारण है इसका ये  गिला भी तुम्हारा है 
इस प्यारनेमेरे दिल को बीमार किया था

दिनेश सक्सेना

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