मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

एहसास



लेख 

सतर्क रहिये और विचार कर अपनाइये




प्यार दुनियाँ का सबसे आकर्षक और सशक्त शब्द है । प्यार को ज़िंदगी से निकल दीजिये फिर सोचिये ,जिंदगी कैसी होगी ? मैने इस पर बहुत बार लिखने की सोची पर ये मुझे कभी समझ ही नहीं आया , क्यूँकि जब भी इसको समाज के बीच देखा, सुना, जाना, महसूस  किया तो थ्यौरी और प्रक्टिकल में अंतर ही पाया। कहने को तो प्यार इबादद है , ईश्वर का दिया उपहार है , पर असल में धोखा और फरेब क्यूँ है ? पर एक सत्य ये भी हैl कि अगर आप दुनियाँ और स्वार्थ से हट कर इसे महसूस  कीजिये, तो ये बहुत ही सुखद और अपनत्व लिए हुये है। पर वर्तमान का प्यार I love you वाला है ,और इस I love you कि मै क्या व्याख्या करूँ,इसकी विश्वसनीयता मेरी add की हुई पिक में देख लीजिये………… इतना ही लिख पाये थे ,तभी मेरी भतीजी ने आकर कहा, बुआ जी बुक दे दीजिये कोई भी, बाबा जी पढ़ने को माँग रहे है। और उसे बुक देते हुए, 'प्रेम प्रकाश जी' की बुक मेरे हाथ में आ गई, उसका जो पन्ना खुला उसके ऊपर ही लिखा था Remain alert and adopt after deliberation मैने थोड़ा पढ़ा, तो मैंने सोचा कि मेरे प्रेम की व्याख्या में आकर्षण ,भावुकता ईश्वरिये गुण सब हो सकते हैl पर वर्तमान के धरातल पर मेरे प्रेम ने मुझे तकलीफ ही दी, तो हम आपको वो नहीं दे सकते, जो तकलीफ दे और स्वप्निल दुनियाँ में ले जाएl क्यूँकि मैंने हमेशा आपको यथार्थ ही दिया है ,l और फिर हमने अपने प्रेम ग्रंथ को फिर अधूरा ही छोड़ दिया....और जो दे रहें है l वो हमे उमीद है , आप सबको पसंद आयेगा और वर्तमान में जीने में सहायक भी होगा........................

सतर्क रहिये और विचार कर अपनाइये
Remain alert and adopt after deliberation

इस दुनियाँ के प्रति प्रेम और अपनापन का व्यवहार जितना आवश्यक है ;
उतना ही आवश्यक इस संसार से सतर्क रहना भी है। यह वह रंगमंच है ,जहाँ प्रत्येक प्रकार के जानवर  और लोग  तरह-2 के स्वांग भर  कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। इसकी सारी गतिविधियाँ स्वार्थ के वशीभूत ही चलती रहती हैं। न जाने कितने पैगम्बर , कितने ईश दूत , कितने ही प्रभु अवतार यहाँ उत्पन्न हुए हैं ; मानवों को सभ्य बनाने के लिये इन लोगों ने अपने को तिल-तिल जलाकर करूणा, दया, प्रेम, स्नेह का महत्व स्थापित करने की कोशिश की है ; लेकिन वे इस विश्व में इन उदात्त भावों को प्रतिष्ठित कर सकने में असफल रहे। इस मनुष्य की मक्कारी देखिये कि वह इनके स्मारकों, प्रतीकों, मूर्तियों और बुतों का निर्माण करता है। उनके चरणों पर सिर पटकता है, गले में फूलों की माला डालता है, उनके नाम पर हमेशा मार काट मचायें रहता है ; पर अपने हृदय में उनके उदात्त भावों को प्रतिष्ठित नहीं करता। वह अश्रुभरे नेत्रों से इनके सामने हाथ जोड़े अपनी शरण में लेने की प्रार्थन करता रहता है; पर उनके हृदय में व्याप्त शैतान ठहाके लगता रहता है। फर्क केवल इतना है कि इसने पाखण्ड का चोला पहन लिया है; जो और भी खतरनाक है ; क्योंकि सज्जन व्यक्ति इनके धोखे में पड़कर मारा जाता है।
अतः जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में , प्रत्येक व्यक्ति से सतर्क रहने की जरूरत है। प्रेम, दया, स्नेह, अपनापन, उदारता, करुणा, आदि अच्छे भाव हैं और निश्चय ही इन्हें आपको अपनाना चाहिये; पर यह लकड़बघ्घों और भेड़ियों के लिये नहीं है। ये किसी भी रूप में आपके सामने आ सकते हैं।
चाणक्य ने कहा है - "राह में चलते समय, घर में प्रवेश करते समय, समाज में व्यवहार करते समय, उठते-बैठते एवं भोजन करते समय और सोते समय ; जो सतर्क रहता है; वही बचता है; दूसरा नहीं।" "दार्शनिक प्रेम प्रकाश शर्मा"

मेरी इस पोस्ट का उद्देश्य आपको जागरूग करना है ,खुद के प्रति और दुनियाँ के प्रति भी, तो प्लीज रेनू की रिक्वेस्ट है.. कि सतर्क बनिएगा सनकी नहीं ,की आप आज को जी ही न पाओ l तो एन्जॉय कीजिये अपनी लाइफ को केअरफुली खुश रहिये, सबको खुशियाँ बांटिये हम फिर मिलेंगे..कुछ दिनों बाद....…………… 

.रेनू सिंह  







5 टिप्‍पणियां:

  1. सतर्क रहिये और विचार कर अपनाईये एक सशक्त एवं सम सामायिक लेख है ! सुन्दर सरल भाषा के साथ अच्छी शैली का प्रयोग किया है !रेनू जी आपने अपने विचार बड़ी सुगमता से दर्शाये है इस लेख मे

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  2. रेनू जी प्यार को एक रूप और भी है जरा इया पर भी विचार कर के देखे """दो आत्माओ का मिलन शाश्वत होता है जहा न वासना का कोई स्थान होता है न अवचेतन मन का .ये स्वर्गिक आनंद और पवित्रतम प्रेम होता है .जिसे इसकी अनुभूति करने वाला ही इस परमानन्द के सुखातिरेक में डूब कर उच्छल तरंगो सा तरंगित हो सकता है
    यह प्रेम निष्पाप निष्काम निष्कपट और निःस्वार्थ है यहाँ प्रेम का बाजवातिरेक अपने उफान पर है पर बहना किधर है शायद धरा को नहीं पता इसी लिए गर्त में डूबकर उतरती रहती है"""""""""""

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  3. आज के लोग बड़े 'व्यवहारिक' हो चुके हैं... पर प्रेम, प्यार, केवल समर्पण एवं भवनजनित हैं... और व्यवहारिक और भावना दोनों अलग-अलग किनारे हैं... सो आयी लव यू वाला प्यार ही व्यवहार में है!

    इसी व्यवहारिक प्यार का बिजनेस सिनेमा, सिरिअल, आदि के जरिये लोगों में परोसा जाता है और लोग कार्ड देना, फूल देना और वैलेंटाईन मनाने को ही प्यार कहते हैं!!

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  4. बहुत अच्छा आंकलन किया है मिश्रा जी आपने जो आज के सत्य के करीब है आज प्यार का मतलब स्वार्थ पूर्ती है इससे अलग कुछ नहीं शायद यही कारण है आज प्यार का एक दिन निश्चित है १४ फरवरी

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  5. धन्यवाद आदरणीय & मिश्रा जी ,सवाल प्रेम से ज्यादा व्यक्ति की आत्म संतुष्टि की होती है, और लोग कुछ जादा व्यवहारिक हो गये, शायद इसी लिए मूल्यों का हास परिहास हो रहा है, और व्यक्ति असंतुष्ट है इस व्यवहारिकता पर विचार करने की जरूरत है प्रतेक व्यक्ति को l और आदरणीय जो तारीख प्रेम के लिए तय है क्या लोग उस दिन से संतुष्ट है ,उस दिन की न्यूज़ कि जासूसों की अच्छी कमाई होती है 14 फरवरी को , लेकिन जो आप लोगों ने कहा आज का वही सत्य है l

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