मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

मंथन



यादें

तन्हाइयों का बिरानियों का अंदाज़ क्या बतायें
हम आज अपने दिल का हाल क्या बतायें
लग रहा है फिर से पास वो आएगें
पर जाने वाले का इंतज़ार क्या बतायें
तन्हाइयों का.............................

लोग बदल जाते है जगह वही रहती है
अंदाज़ बदल जाते है बात वही रहती है
हर लम्हों की याद बनी रहती है
दी हुई उनकी सौगात क्या बताये
तन्हाइयों का..........................
क्यूँ भीड़ मे भी तन्हा हम आज लग रहें है
हम उनसे अपने रिश्तों का नाम क्या बतायें
तन्हाइयों का...........................
उनका मुस्कुराना यूँ पास मेरे आना 
मुझसे सब बताना आज उन पलों की क्या दास्ताँ सुनाये
तन्हाइयों का...................................
हम आज...................................
....रेनू सिंह

1 टिप्पणी:

  1. रेनू जी आपने एक बहुत खूबसूरत रचना से अवगत करवाया है ! यह आपकी उत्कृष्ट रचनाओ मे से एक है ! बहुत बहुत बधाई ! विश्वास है आगे भी आप इसी तरह लिखती रहेंगी !!!

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