शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

राजनीति

अरविन्द केरीवाल और त्यागपत्र 



अरविन्द  केजरीवाल के मुख्य मंत्री पद के त्यागपत्र से यह सर्वविदित हो गया की जनलोकपाल को लेकर दिल्ली विधान सभा मे दो दिनों तक जिस तरह हंगामे के स्तिथि रही उसे अप्रत्याशित नहीं कहा जा सकता !वास्तव मे केजरीवाल अपनी जिम्मेदारिओं से भागने के लिए कोई सुरक्षित मार्ग तलाश रहे थे ताकी ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ा जा सके !वही हुआ भी !दिल्ली की  जनता अपने को ठगा सा महसूस कर रही है !हंगामे और त्यागपत्र को लेकर विपक्ष की भी आलोचना की जा सके ,किन्तु केजरीवाल जिस तरह से अपने को संवेधानिक व्यवस्था और परम्पराओं के ऊपर स्थापित करने की कोशिश मे लगे रहे ,उससे ही इस तरह की स्तिथि अधिक बनी !मुख्या विपक्षी पार्टी भाजपा से लेकर सरकार समर्थित कांग्रेस वा अन्य विधायक भी जनलोकपाल का विरोध नहीं कर रहे थे !उनका यह तर्क न्याय सांगत था की संविधान की मर्यादाओं का पालन किया जाये और नियम तथा कानून के दायरे  मे इसे विधानसभा मे पेश किया जाये !कोई भी संविधान के ऊपर नहीं होता !संविधान की अवहेलना की जायगी तो अराजकता उत्पन्न होगी !

अब यदि विपक्ष यह आरोप लगता है कि अरविन्द केजरीवाल जनलोकपाल को लेकर अड़े हुए है तो इसमें गलत क्या है ! केजरीवाल केवल देश की बुनयादी समस्याओं से जनता का ध्यान हटाना चाहते है इस लिए उन्हे यह मार्ग अधिक सुगम और सरल लगा !उनके त्यागपत्र से अनेक प्रशन उत्पन्न होते है ,कि  यह एक जगह टिक कर काम क्यों नहीं कर पाते ! आई आई टी से इंजीनियरिंग की पर नौकरी से भागे , आई ए  एस. की परीक्षा दी और अपना पद छोड़ कर चल दिए ,आर टी आई का कार्य किया छोड़ कर अन्ना के आंदोलन मे घुस गए ,वहाँ से भागे आ आ पा पार्टी बनाई मुख्यमंत्री बने त्यागपत्र दे कर भाग लिए !इन यक्ष प्रश्नो के उत्तर जनता को तलाशने होंगे कि केजरीवाल ही क्यों सब जगह से भागते है क्यों नहीं वोह एक जगह टिक कर कार्य कर पाते ?उनकी समस्या क्या है यह भी जानना होगा जनता को !सबसे बड़ा प्रशन का भी उत्तर ढूंढ़ना होगा की क्या कोई संवैधानिक पद पर बैठ कर धरना प्रदर्शन कर सकता है !

आखिर क्यों केजरीवाल आरोपों की  राजनीति पसंद करते है ? इनकी सरकार की ओर  से उप राज्यपाल पर आरोप लगाया कि राज्यपाल व्यवस्थाओं की अनदेखी कर रहे है वोह अपने को दिल्ली का वायसराय समझते है ,केजरीवाल क्यों भूल जाते है कि उप राज्यपाल का पद एक संवैधानिक पद है  इसका सम्मान किया जाना चाहिए !सारी राजनीतिक पार्टियों पर आरोप कि  सब बेईमान है और केवल मैं अकेला ईमानदार हूँ ,सब चोर है मैं शाह हूँ !क्यों केजरीवाल को घड़ी घड़ी अपनी ईमानदारी का डंका पीटना पड़ता है ! पिछले चवालीस दिन के शासन का आंकलन करे तो ज्ञात होगा कि केजरीवाल के लिए दिल्ली की जनता और उसके हित नहीं केवल केजरीवाल की अपनी महत्वाकांक्षा ज्यादा मायने रखती है !यह सही है की शायद पहले कभी दिल्ली वालों को  इतना नकारात्मक सोच का मुख्या मंत्री नहीं मिला जितना की अरविन्द  केजरीवाल रहे है ! नकारात्मकता मे अरविन्द केजरीवाल ने सारे  रिकार्ड तोड़ दिए !


दिनेश सक्सेना

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