कविता
रात नशीली
दूधिया चाँद को लेकर ,नशीली रात आयी है
झिलमिल चाँदनी,छम छम थिरकती रागनी
बिजली रूप में लहराती,श्वेत बरसात आयी है
जले मधु रूप बाती,सौंदर्य प्रणय रूप मदमाती
मिलन के मधुर स्वप्नों की ,बरात आयी है
सजी सुर्ख फूलों से राहे,जगी उन्मुक्त चाहते
सजी सुर्ख फूलों से राहे,जगी उन्मुक्त चाहते
रही जो अब तक मन मे ,लबों पर बाते आयी है
नशीली रात आयी है, नशीली रात आयी है
दिनेश सक्सेना
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