तेरी याद आती है
बरसों से तेरी याद आती रही
आँखे यूँही सदा बरसती रही
रुक नहीं पाते अब आँसूं कभी
रात रात भर बस यूँ रोती रही
अपने को तो समझा ही लेती
याद आते ही गहरी सांसे लेती
फिर याद आते है वही पुराने कल
हंसते खिखिलाते वही सुन्दर पल
कभी तुमसे मेरी नज़रे हटती नहीं
ज्यादा खुशी थी कोई गम था नहीं
तेरी मुस्कराहट भी मेरी हंसी थी
तेरे गम भी मेरी ही उदासियाँ थी
आज मेरा दोस्त मुझसे रूठ गया
मनाना चाहती थी पर चला गया
बतियाना चहाती हूँ पर बतयाती नहीं
मेरी हर सुबहा हर रात उससे होती थी
दिनेश सक्सेना
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