मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

एहसास

कहानी

दीप दीवाली

कल्पना  बड़े अरमानों से ऋचा को अपने घर की बहु बना कर लायी थी ,किन्तु जिद्दी अहंकारी ऊपर से माँ की उल्टी सीख पाकर ऋचा ने कल्पना को वो रंग ढंग दिखाए की बेटे की शादी के सारे सपने धूल  धूसरित हो गए ,

अरमान धरे के धरे रह गए ऐसा क्या हुआ जिसकी वजहा से यह सब देखना पड़ा !


 बहु ओ बहु कब से चिल्ला रही हूँ सुनती ही नहीं है , एक हफ्ते से तुम्हारे कपडे गुसलखाने मे पड़े है ,उन्हे धो कर फैला  दो ! कल्पना ने घर मे झाड़ू लगाते हुए कहा ! उधर से आवाज़ आयी  ""ठीक है फैला दूंगी ,आप तो मेरे पीछे ही पड़  जाती है "" बहु ने भी अत्यंत तेज आवाज़ मे ही उधर से उत्तर दिया ""इसमें चिल्लाने की क्या बात है ?""चिल्लाने की बात क्यों नहीं है कपडे मेरे है ,फट जायेंगे तो आपसे मांगने नहीं आउंगी !जिसने मेरा हाथ थामा है वही खरीद कर भी लाएगा !आपके सिर मे क्यों दर्द होने लगता है ?""बहु अपने कमरे से बोलती हुई बहार निकली और तेज क़दमों से चलती हुई गुसलखाने मे घुस गयी ! सारा गुस्सा कपड़ों पर उतारती हुयी बोली "अब इस घर मे रहना नरक मे रहने जैसा हो गया है !मेरा थोड़ी देर आराम करना भी किसी को नहीं सुहाता है !इस घर के लोग तो यह चाहते है की यहाँ नौकरानी बनकर रहूँ ! मेरा शरीर पत्थर का बना है !""

अपने इकलौते बेटे यश के लिए कल्पना ने बहुत सी  लड़कियां देखने के बाद ऋचा का चुनाव किया था यश के लिए !ऋचा दूध की तरहा गोरी और बी. कॉम तक पडी लिखी लड़की थी ,इसलिए ऋचा को भा  गयी थी और घर आते ही घोषणा कर दी थी की मेरी बहु यही बनेगी !इस तरह कल्पना ने अपने बेटे का विवहा दो साल पहले ही ऋचा के साथ कर दिया था !ऋचा अपने पूरे परिवार की लाड़ली थी ,ख़ास तौर पर अपनी माँ की !इसलिए वोह जिद्दी ,स्वार्थी एवं अहंकारी थी ,उसके घर मे उसकी माँ का ही शाशन चलता था ! बच्चपन  से ही उसकी माँ ने ऋचा को यही  पाठ पढ़ाया था कि शादी के बाद जितनी जल्दी हो सके अपना घर अलग कर लेना ,संयुक्त परिवार मे रहेगी तो सास ससुर की सेवा करनी पड़ेगी !

वैसे कल्पना का परिवार भी सम्पन्न था किसी चीज़ की कमी नहीं थी ,पर ऋचा के परिवार के सम्मुख कुछ उन्निस था !कल्पना के पति रमेश एक डिग्री  कॉलज  मे प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत थे और खाली समय मे अपना कोचिंग क्लास चलाते  थे ! पत्नी कल्पना एक सुघड़ गृह्णी थी अतः वोह बहुत सोच समझ के घर चलाती थी ! रमेश ने अपने इकलौते बेटे को भी अच्छी शिक्षा दिलायी थी !इस समय यश एक कंपनी मे प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्य कर रहा था !इसलिए उसे कभी कभी नियमित अंतराल पर कार्यवश बहार जाना पड़ता था ! यश जनता था की उसके माँ बाप ने कितनी कठिनाई से उसको शिक्षा दिलायी है !इसलिए उसका झुकाव हमेशा अपने माता -पिता के ओर अधिक रहता था ! वोह अपने वेतन मे से कुछ पैसे माँ -बाप को देकर  बाकी वेतन अपनी पत्नी के हाथ मे देता था !

2 -3 महीने ऋचा ने यह सब सहन किया ,तथा यहाँ की सारी जानकारी वह अपनी माँ को बताना कभी नहीं भूलती थी ,दिन भर की सारी घटनाये वह अपनी माँ को बताती थी ,फिर शुरू होता था उसकी माँ का उसे भड़काने का खेल ! माँ के कहे अनुसार ऋचा ने पहले अपने पति पर शाशन चलाना शुरू किया फिर धीरे धीरे पूरे घर पर अपना शाशन शुरू कर दिया ! बात यही तक होती तो नही ठीक था पर ऋचा ने तो हद तब कर दी जब उसने सास ससुर से लड़ना और जली कटी  सुनाना उसकी दिनचर्या मे शामिल हो गया ! इस कारण घर मे शान्ती का नामो निशाँ ख़त्म हो गया ! इन सबसे बचने के लिए कल्पना भी पड़ोस मे एक कमरा लेकर बच्चों को पढ़ाने लगी जिससे उसका समय भी कट जाता और वोह कलेश से भी बची रहती थी ! रमेश इन्ही सब कलेश की वजह से रोज कॉलेज से देर से आने लगे ,लगभग यही तरीका यश ने भी अपना लिया और अपनी दिनचर्या बदल दी ! विकल्प यश के पास एक ही था या तो वह किराये का अलग मकान ले या अपनी दिनचर्या मे बदलाव करे !!

शाम को जब यश ऑफिस से आया और अपने कमरे मे गया तो देखा कि उसकी पत्नी ऋचा बाल बिखेरे ,अस्तव्यस्त कपड़ों मे गुस्से से भरी बैठी थी !यश ने पूछा ""आज क्या हुआ !इस तरह क्यों बैठी हो ?आज फिर माँ से झगड़ा हुआ क्या ?"" ""और क्या तुम्हारी माँ कभी मुझसे प्यार से बात करती है ?""शेरनी की तरह गुर्राते हुए उसने मुझसे कहा और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ,इसी के साथ ऋचा ने दोपहर का सारा व्रतांत नमक मिर्च लगा कर बता दिया !पुरुष सब कुछ सहन कर सकता है पर सुन्दर स्त्री के आंसू सहन नहीं कर सकता !यश  ने तुरंत निर्णय लिया और सुना  दिया कि कल वह इस घर को छोड़ देगा ,इतना सुनते ही ऋचा के आंसू कपूर की तरह उड़न छू हो गए !सोते जागते रात युही गुजर गयी और सुबहा होते ही  यश बहार चला गया !2 घंटे बाद यश लौट कर आया और माँ से बोला कि मैंने  अलग घर देख लिया है और मैं ऋचा के साथ दूसरे  मकान मे रहने जा रहे हूँ  !माँ ने कहा ""अपने पापा को आ जाने  दो उनसे बात करके चले जाना ""  " नहीं माँ अब मैं किसी का इंतज़ार नहीं करूंगा ,हर दिन की कलह से अच्छा है अलग रहना ,कम से कम शान्ति तो रहेगी " ""ठीक है मैं तुम्हे रोकूंगी नहीं क्योकी अब तुम बच्चे नहीं हो जैसा तुम्हे ठीक लगे करों !तुम्हे जिस सामान की आवश्यकता हो ले जा सकते हो और वैसे भी सब कुछ तुम्हारा ही है ""कांपती आवाज़ मे यश से कहकर कल्पना ड्राइंग रूम मे जाकर बैठ गयी ,उस समय उसकी आँखों मे आँसू थे जिन्हे वह बार बार अपने आँचल से पोछ रही थी !

थोड़ी  देर मे यश ट्रक ले आया और अपना समान उसमे रखवाने  लगा !आधे घंटे के बाद उसी ट्रक मे दोनों पति -पत्नी भी बैठ कर चले गए !कल्पना की हिम्मत नहीं हुई  कि वोह उन दोनों को बहार निकल कर जाते हुए देख सके !शाम को जब कल्पना के पति घर आये तो कल्पना  ने उन्हे सारा किस्सा सुनाया ,सुनने के बाद पति ने कहा चलो अच्छा है रोज रोज का कलेश तो ख़त्म हुआ अब दोनों जगह शान्ति रहेगी !पर उस रात दोनों पति पत्नी ने खाना नहीं खाया !दोनों को गए हुए लगभग आज एक वर्ष हो गया था !ठीक दीवाली के 10 दिन बाद दोनों ने घर छोड़ा था ! आज फिर दिवाली थी सब जगहा दीपक का प्रकाश था पर एक घर ऐसा भी था जिसने केवल एक शगुन का दिया जला कर बहार आँगन  मे रख दिया था वह परिवार था रमेश और कल्पना का !2 दिन बाद कल्पना पति को कार्य पर भेज कर खुद बच्चों को पढ़ाने आ गयी !जब वह पड़ा कर लौट रही थी तो उसे रास्ते मे एक औरत मिली जो कल्पना को जानती थी पर कल्पना उसे नहीं जानती थी ,उस महिला ने कल्पना को नमस्ते की और बोली के यश और ऋचा हमारे घर के पास ही रहते है !आज ऋचा की तवियत ज्यादा खराब है तभी तो उसके माकन मालिक उसे हॉस्पिटल ले गए है क्योंकि यश यहाँ नहीं है वह बहार गया है ऑफिस के काम से !ऋचा के डिलीवरी होने वाली है !

कल्पना ने उस औरत से पूछा कि कौन से हॉस्पिटल गए है तो उसने वर्मा नर्सिंग होम का नाम बता दिया !कल्पना जल्दी जल्दी घर आये और कुछ जरूरी सामान रख कर वर्मा नर्सिंग होम पहुँच गयी !वहाँ जाकर पता चला की ऋचा की हालत खराब है उसका ऑपरेशन होगा तो कल्पना ने तुरंत फ़ोन करके अपने पति को हॉस्पिटल बुला लिया !वहाँ सारी फीस जमा कर दी गयी और ऑपरेशन शुरू हो गया !वोह दोनों एक बेंच पर बैठे ऑपरेशन ख़त्म होने का इंतज़ार कर रहे थे !लेकिन ऋचा के मम्मी पापा अभी तक नहीं आये थे सूचना भेजने के बाद भी !इधर ऑपरेशन ख़त्म हो चूका था ,और नर्स ने आकर बताया की लड़की हुयी है ,माँ बच्ची दोनों ठीक है !करीब 4 घंटे बाद ऋचा को रूम मे लाया गया और उसके 3 घंटे बाद ऋचा ने आंखे खोली और देखा कि सिरहाने उसकी सास एक बच्ची को गोद मे लिए बैठी है !इस तरह कल्पना और रमेश ऋचा का ध्यान रखने लगे पर ऋचा के मम्मी पापा अभी तक नहीं आये !ऋचा को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गयी और उसे कल्पना अपने साथ घर लेकर आ गयी ! ऋचा अपनी सास और ससुर की सेवा भाव देखकर बहुत खुश हई और अपने माता पिता के प्रति उसका व्यवहार कुछ रूखा हो गया !अब तक यश भी वापिस आ चुका  था और उसने ऋचा से कहा चलो अपने घर चलते है पर ऋचा ने स्पष्ट घोषणा कर दी कि अब वोह कही नहीं जायेगे यहे रहेगी अपने सास ससुर के पास !शायद उसे पता चल गया था की शादी के बाद ससुराल ही एक लड़की का घर होता है !!इस तरह एक वर्ष का सफ़र पूर्ण हुआ दिवाली के बाद से अगली दिवाली तक का !अब ऋचा अपने मम्मी पापा से भी अधिक बात नहीं करती थी और घर मे भी पूर्णतया शांती स्थापित हो चुकी थी ! संभवतया दीवाली के  एक दीप ने सम्पूर्ण जगत को रोशन कर दिया था। ……………………… 


दिनेश सक्सेना 

 

 


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