शुक्रवार, 31 जनवरी 2014





तुम्हारी  याद 


भूली बिसरी यादें


अपने जीवन के आख़री पड़ाव तक 
स्वम को पा कर सोचूंगा खड़ा होकर 
तुम पास होती तो अच्छा होता 
तम घना जब घिरने लगेगा 
अंत तब मेरे इंतज़ार का होगा 
उस पार से कोई मुझे बुलाने लगेगा 
तब ह्रदय पटल खोल तुम्हे ढूंढ़ने का 
मै फिर अंतिम प्रयास करूंगा 
पल पल क्षण क्षण मै याद करूँगा 
ख़ुशी ,गम अवसाद या हो व्याकुलता 
कोई अन्य नहीं ,सारे  रूप वक़्त ही धरता 
जब मै अंतिम पलों मे
इन सब पर विचार करूँगा !!!

दिनेश सक्सेना






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