तुम्हारी याद
भूली बिसरी यादें
अपने जीवन के आख़री पड़ाव तक
स्वम को पा कर सोचूंगा खड़ा होकर
तुम पास होती तो अच्छा होता
तम घना जब घिरने लगेगा
अंत तब मेरे इंतज़ार का होगा
उस पार से कोई मुझे बुलाने लगेगा
तब ह्रदय पटल खोल तुम्हे ढूंढ़ने का
मै फिर अंतिम प्रयास करूंगा
पल पल क्षण क्षण मै याद करूँगा
ख़ुशी ,गम अवसाद या हो व्याकुलता
कोई अन्य नहीं ,सारे रूप वक़्त ही धरता
जब मै अंतिम पलों मे
इन सब पर विचार करूँगा !!!
दिनेश सक्सेना
दिनेश सक्सेना
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