कविता
सुख दुःख
सुख है दुःख है
आता -जाता है
पर प्रतीक्षा आज भी
तुम्हारे दर्शन ,तुम्हारे श्रवण की
दे दो एक दिव्य किरण साक्ष की
तुम्हारे मधुर स्वर ,सम्भाषण
सब है क्रमशः ,जो आज है
यही वर्तमान है ,मत भटको
मत टूटो ,न उदास हो
जो आएगा कल ,खिल जायेगा जीवन
जीवन वह गंगा है ,जो अविरल है
विस्मित ,विव्हल ,विभ्रांत रहा दिग्भ्रमित
न होने दूंगा मान तुम्हारा हेटा
विश्वास रखो इतना जो तुमसे पाया
उसके लिए शपथ प्रतिज्ञ
उठते गिरते प्रश्न अनेको ....
जब भी सोचा तेरे जीवन हित मे
पीछे पड़ गया बिना रीढ़ का शहर
दिनेश सक्सेना
जीवन को सरल ढंग से 'अभिव्यक्त' किया है सर ... सचमुच 'गंगा' ही है जीवन ...!!
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी वास्तव मे जीवन एक गंगा की तरह ही है जो अविरल निर्वाध गति से बहता रहता है चाहे दुखो की बाढ़ आये या सुखो की शांत लहरे पर जीवन तो इन्ही उतार चडाव के अनुरूप चलता ही रहता है !आपके बहुमूल्य विचार के लिए धन्यवाद !!!!!!!!!!
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