कविता
दर्द बिखराब का
सबसे छुपाकर वह पीड़ा हिर्दय की जो हंस दिया .
उसकी हंसी ने तो आज मुझे भी रुला दिया
सलीके से उठ रहा था हर एक दर्द का अक्ष
चेहरा बता रहा है की आज कुछ गँवा दिया
आँखे रो रही थी जार जार आवाज़ मे ठहराव था
और दिल कहता है मैंने सब कुछ भुला दिया
खुद भी वह हमसे बिछुड़कर अधूरा सा हो गया
मुझको भी भीड़ मे छोड़कर तनहा बना दिया !!!
उसकी हंसी ने तो आज मुझे भी रुला दिया
सलीके से उठ रहा था हर एक दर्द का अक्ष
चेहरा बता रहा है की आज कुछ गँवा दिया
आँखे रो रही थी जार जार आवाज़ मे ठहराव था
और दिल कहता है मैंने सब कुछ भुला दिया
खुद भी वह हमसे बिछुड़कर अधूरा सा हो गया
मुझको भी भीड़ मे छोड़कर तनहा बना दिया !!!
दिनेश सक्सेना
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