गुरुवार, 6 मार्च 2014

मंथन


कविता 

यादें


कुछ यादें अमिट छाप सी होती है
ह्रदय पटल पर

कुछ यादें कुठारघात सी होती है
मस्तिष्क पटल पर

कुछ अविष्मरणीय दृश्यों के छाप
नेत्र पटल पर

हैं जहाँ अभी हम खड़े हुये
प्रभावित न जीवन उससे इतना

जितना यादें करती प्रभावित मानव जीवन
मानव मन और मानव तन

सुख दुःख का अविष्मरणीय संगम ये यादें


.......रेनू सिंह  

1 टिप्पणी:

  1. रेनू जी यादें सदा ही समिश्रित होती है जो कभी गुदगुदाती है तो कभी रुलाती है यह एक शाश्वत सत्य है !

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