गुरुवार, 6 मार्च 2014

मंथन


अपने ही घर में अजनबी हुई हिन्दी के लिए



हिन्दी तुझे नमन |
शत् - शत् बार नमन |

हिन्द की शान है तू , गौरव, गर्व, अभिमान है तू ,
दुनिया में हिन्द की सहृदयी पहचान है तू

हिन्दी तुझे नमन | शत् - शत् बार नमन |
तुझको तेरा मान मिले ,

खोया हुआ सम्मान मिले |
सूर्य प्रकाश सी फैले तू ,

तुझको ये वरदान मिले |
हिन्दी तुझे नमन | शत् - शत् बार नमन |

........रेनू सिंह

2 टिप्‍पणियां:

  1. रेनू जी ,आपने हिंदी को प्रोत्साहित करते हुए एक सुन्दर रचना लेखनी वद्ध की है !

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  2. धन्यवाद, आभार आदरणीय ! हिंदी दिवस की देन थी, थोड़े से भावुक हो गये थे आदरणीय तभी, क्यूँकि कहा भी गया है......वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान..... :)

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