शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

राजनीति

काली मिर्च ,सांसद और हंगामा 


संसद मे काली मिर्च का प्रयोग सांसदों द्वारा किया जाना ,माइक तोड़ना ,असभ्य भाषा का प्रयोग ऐसे किया गया कि पूरा देश ही शर्म सार हो गया ! भारत की छवि देश विदेशों मे भी कोंग्रेस्सी सांसदों के कारण धूमिल हुयी है !अलग तेलंगाना राज्य गठन का विरोध करने के लिए इस तरह के कृत्य को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सका है ! यह ऐसा कृत्य था जो अपने पीछे अनेक सवाल छोड़ गया ! प्रशन यह है की 2001 मे हुये  संसद के बहार आतंकवादी हमले को बड़ा  माना जाये या संसद के अंदर हुए इस हमले को बड़ा माना जाए !
संसद के बहार हमला विदेशियों द्वारा रचा एक धिनौना कृत्य था ,संसद के अंदर हुए इस हमले मे देश के चुने हुए सांसदों के कारण जो शर्मिंदगी देश को उठानी पडी है आखिर उसका उत्तरदायित्व कौन लेगा ,क्या सरकार ,स्पीकर या संसदयीय  कार्य मंत्री ! इन सारी हरकतों से देश सन्न रह गया !उत्पात मचाने वाले 17 सांसदों को   लोकसभा से निलम्बित कर दिया गया और  अपने कर्त्तव्य पालन की  खाना पूर्ती कर , सरकार अपने को फिर पाक साफ़ सिद्ध करने का प्रयास कर, इस कृत्य का पटाक्षेप करना चाहती है !

लेकिन निलम्बन ना तो इस मुद्दे का हल है और ना ही  स्पष्टीकरण की हालत जिसने देश को इस हालात तक पहुंचा दिया है !संसद मे तेलंगाना की मांग जिस तरह से तेज होती हुयी आक्रामक रूप लेती गयी ,वोह किसी से छुपी नहीं है !सरकार औए कांग्रेस नेतृत्व को अच्छी तरह पता था कि आज नहीं तो कल उसे यह मांग स्वीकार करनी ही पड़ेगी ! फिर सरकार ने इसके दुष्प्रभावों से निपटने की कोई तैयारी नहीं की ?क्या यह सरकार की चूक नहीं है ?जब उग्र प्रतिकिर्याएँ  सामने आने शुरू हो गयी ,उसके बाद भी कोई ऐसा संकेत ना तो केंद्र सरकार के ओर से मिला और ना ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से कि वह हालात सम्हालने के लिए कमर कास चुके है ! सीमांध्र के लोगो को समझने की कोशिश क्यों नहीं की गयी ?वहाँ के जन प्रतिनिधियों को विश्वास मे क्यों नहीं लिया गया ?इस विषय पर इतने जल्दी मे  फैसला क्यों लिया गया ? यह यक्ष प्रशन आज भी ज्यों  के त्यों खड़े है ! क्या कांग्रेस वोट बैंक के लिए ही कार्य करने मे ही अपनी रूचि रखती है !कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व क्या मानसिक रूप से दिवालिया हो गया ?क्या उसे इस कृत्य से कोई शर्मिंदगी नहीं है ?

सांसदों का निलम्बन  क्या पर्याप्त है उनके विरुद्ध अपराधिक मामले मे कार्यवाही क्यों नहीं की गयी !यह ऐसे प्रशन है जिनके उत्तर मिलने अभी बाकी है !काली मिर्च का स्प्रे महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना था या संसद मे बैठे संवेधानिक पदाधिकारिओं के इस्तमाल के लिए ,आज संसद मे मिर्च स्प्रे जा रहा है कल हो सकता है की संसद के अंदर आग्नेय शस्त्र  भी ले जाये जाने लगे !इन सबसे बचने के लिए क्या सांसदों की तलाशी नहीं होनी चाहिये कब तक  हम देश की मर्यादा को इस प्रकार क्षत विक्षप्त होते देखते रहेंगे !

देश को जो शर्मिंदगी उठानी थी उठा चुका  !क्या भाविष्य मे सरकार यह सुनिश्चित करेगी की इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो ! इसके लिए क्या उपाय किये जा रहे है सरकार और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के  द्वारा यह देश जानना चाहता है !देश के लोग यह भी मांग करते है कि ऐसी अपराधिक प्रवृति के सांसदों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये !

वास्तव मे देखा जाये तो इस सब के लिए हम सब ही कही न कही जिम्मेदार  है !देश की जनता सही व्यक्ति को नहीं चुन कर भेजती है संसद  मे ,वोह अपना वोट कभी जाती,धर्म,बाहुबल के आधार पर  देकर लोकतंत्र के स्वरुप को ही ध्वस्त कर रही है !फिर भी लोकतंत्र मे लोकतंत्र के मंदिर की मर्यादा को जो चोट चंद सांसदों द्वारा पहुंचायी गयी  है वह निंदनीय है उसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता !!!!!

दिनेश सक्सेना

2 टिप्‍पणियां:

  1. नेता जब खुद ही बेशर्म है तो देश को शर्मसार ही करेंगे ,और देश की जनता भी क्या करे सर सबके सब तो कुर्सी पाते ही बदल जाते है l

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही कहा आपने रेनू जी पर दुःख होता है जब देश को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है ,संसद लोकतंत्र का मंदिर होता है ओर उसी अपवित्र कर शमशान बना कर रख दिया है !जहाँ कली मिर्च ,कुर्सी,चाक़ू जैसे हथियार हो वोह तो जगह मंदिर नहीं शमशान ही होगा !राजनीतिज्ञों से अब घिन्न होने लगी है !

      हटाएं