सदियों बाद
कुछ बीते पल ,कुछ बीती यादें
सदियों बाद
जो मचल के आया
एक तरंगित प्यार का झोका
एक सिलसिला मिला
और मदहोश-बेकल गुनगुनाती हवा
सदियों बाद
शांती के गलियारे और रौनक
बुला रही है
तुम्हारी बांहों की मदहोश सुगंध
मेरी शरमाती आँखों की मिचौनी
सदियों बाद
फिर गुनगुनाती है
कजरारी आँखों की शोखियां
खिलखिलाने को मस्त नयना
आप के उलझे बालों की मादकता
सदियों बाद
फिर चली है पुरवइया
मधु प्रणय बेला सी
अब तो रहे आप ही आप
या रहे आपका प्यार
दिनेश सक्सेना
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