गुरुवार, 6 फ़रवरी 2014

जुदाई 


मिलना बिछुड़ना 



तुम से जुदा होकर ,गम मे डूब गया हूँ
थमते नहीं आँसू ,आँखे सुर्ख हो गयी है
गुजरा ज़माना यूँ  भूलता ही   नहीं  हूँ
याद आती है वोह हसीन मुलाकाते
वो तकरार वो मीठी मीठी बातें
यूँ  ही गुजर जाना वो वक़्त यादोँ का
कभी मेरा हाथ छूना कभी तुम्हारा थामना
वो कभी तुम्हारा रूठना कभी मेरा मनाना
कितनी कसमे खाई साथ जीने मरने की
लेकिन एक दिन घड़ी आई अपनी जुदाई की
उठता है दर्द दिल मे आज भी तुम्हे खोने का
मिलेगा मुझको भी मिलने का दोबारा तुमसे मौक़ा


दिनेश सक्सेना

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