कविता
प्रेम एक सत्य है
प्रतीक्षा मे कोई सीमा नहीं होती
स्मृति का कोई समय नहीं होता
अनवरत मेरी सांसे जब तक
मैं , मैं ही होता हूँ तब तक
दूजा न कोई होता पास मेरे
क्या मांगना तुमसे मिलो तुम
सांसे सांसों से प्राण आत्मा से
ह्रदय ह्रदय से ,प्राण प्राण से
हो एकीकार तुम ,तुम ना रहो
मैं , मैं ना रहूँ ऐसा दे दो मुझको
अभिराम प्रिये , कल्पना हो साकार प्रिये
तुमको निमंतरण देता हूँ मैं ,तुम से हम होने को
पल का तुम मूल्य समझ लो नव जीवन जीने को
एक निश्चय अब तुम कर लो जीवन तरंग जीने को
दिनेश सक्सेना
स्मृति का कोई समय नहीं होता
अनवरत मेरी सांसे जब तक
मैं , मैं ही होता हूँ तब तक
दूजा न कोई होता पास मेरे
क्या मांगना तुमसे मिलो तुम
सांसे सांसों से प्राण आत्मा से
ह्रदय ह्रदय से ,प्राण प्राण से
हो एकीकार तुम ,तुम ना रहो
मैं , मैं ना रहूँ ऐसा दे दो मुझको
अभिराम प्रिये , कल्पना हो साकार प्रिये
तुमको निमंतरण देता हूँ मैं ,तुम से हम होने को
पल का तुम मूल्य समझ लो नव जीवन जीने को
एक निश्चय अब तुम कर लो जीवन तरंग जीने को
दिनेश सक्सेना
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