मंगलवार, 26 सितंबर 2017

एहसास

अनकही 


मौन



'मौन' , शब्द जितना संक्षिप्त मायने उतने ही विविध और विस्तृत. अपने साथ हो रहे अन्याय पर मौन कमजोरी है तो किसी की बेमतलब टिप्पनी पे मौन परीपक्वता की निशानी.
ठीक से बोल ना सकने वालो के लिए यही मौन दबी हुई भावनाओं का ज्वार है तो वहीं चंचल और वाचाल प्रवृत्ति के लोगों के लिए मौन होना एक परीक्षा के साथ ही उनमे घर कर रही उदासी की पेहचान और किसी बात पर अपना विरोध जताने का तरीका भी है .
मौन स्वीकृति है तो कभी अस्विकृती भी . यह अभीव्यक्ति है तो आसपास की चीजों से विरक्ति भी . यही मौन कई बार कुछ समस्याओं को जन्म देता है तो कई बार इसी मौन के कारण कई परेशानियों को टाला जा सकता है.
कई बार किसी के इसी मौन के कारण कई सवाल निरूत्तरित रह जाते हैं तो कभी मौन होकर कई प्रश्नो के जावाब खुद -ब - खुद मिल जाते हैं
शायद इसिलिये मौन साधना भी है और गूढ भी..

प्रतीक्षा सक्सेना "दत्ता "





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