याद
लज्जा से झुकती हैं वे
उत्सुकता से उठती हैं
अधरों से भी अधिक मुखर
बातें प्रेम की करती हैं
कजरारी, मनभावन, चितवन
ऐसी हैं अँखिया शरमाती
जिसकी याद हमें है आती
चलो मन ढूंढे अपना साथी
उत्सुकता से उठती हैं
अधरों से भी अधिक मुखर
बातें प्रेम की करती हैं
कजरारी, मनभावन, चितवन
ऐसी हैं अँखिया शरमाती
जिसकी याद हमें है आती
चलो मन ढूंढे अपना साथी
दिनेश सक्सेना
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