कविता
एक सपना
श्रृंगार छूटा ,भाव मन घायल ,
धुंद की भेट हुयी कल्पना मेरी!
वह करुण दृष्टी पडी धूमल,
अब भी है संकल्प मिलन!
एक सपना आज भी है,
एक शेष अपना वो कल!
आशा , विश्वास घायल,
उनके दर्शन का है संकल्प!
सपना है अब आस मिलन,
कर्म छूटा भक्ती घायल!!
दिनेश सक्सेना
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